My Poems

My Crazy Gazals

भूल
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भूल

हम से न जाने कैसे ये भूल हुई जो जुगनू को समझ लिया सितारा। क्यों हमने सोचा अकेली राहों में ,घोर अँधेरे में मिल ही लिया सहारा।। अब भी हम तैर रहे हैं थक के भी,उस पार अगर हो या न हो किनारा। बिखरी जुल्फों को ओर बिखरा दियाइक हवा का झोंका भी न इसे सवारा।। निगाहों के आगे दूर दूर तक है वीरानी फिर क्यों दिल होले से…

हवा का झोंका
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हवा का झोंका

एक हवा का झोंका दस्तक दी दरवाज़े में ऐसे फिर से मेरा। मुरझाया फूल खिलने लगी आँगन महका फिर से मेरा ।। बादल बरसना छोड़ दिया था खुशबु महकना भूल झुका था,पवन जो सरकाया आँचल मेरादिल आज धड़का फिर से मेरा ।। तूफ़ान मे कश्ती फटक गयी थीजब दूर साहिल दिखने लगी,बेरंग दुनिया मे रंग भरा आँखें चमका फिर से मेरा ।। अश्कों की बरसात थम गया तो हंसी के फूल खिलने लग गयी आशाएँ…

गुमराह
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गुमराह

वक्त ने मुझे गुमराह किया था यह नहीं है मेरी मंज़िल। जिस मोड़ में राह झूठा था उसकी खोज में है अब दिल।  यहाँ से निकलजाने की सोचूँ या अपनी मंजिल को खोजूं ?क्या करूँ ? क्या ना करूँ ? कभी सफर ही हत्म करना मैं सोचूँ।  ज़िंदगी तो कुछ हल्का-सा था कब यह भारी से भारी होगया ?फूलों से सजी राहों में कब काँटें बरसना ज़ारी होगया ? मौसम की नादानियाँ ही देखो प्यास…