My Diary

Some piece of writings selected from the pages of my diary

हवा का झोंका
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हवा का झोंका

एक हवा का झोंका दस्तक दी दरवाज़े में ऐसे फिर से मेरा। मुरझाया फूल खिलने लगी आँगन महका फिर से मेरा ।। बादल बरसना छोड़ दिया था खुशबु महकना भूल झुका था,पवन जो सरकाया आँचल मेरादिल आज धड़का फिर से मेरा ।। तूफ़ान मे कश्ती फटक गयी थीजब दूर साहिल दिखने लगी,बेरंग दुनिया मे रंग भरा आँखें चमका फिर से मेरा ।। अश्कों की बरसात थम गया तो हंसी के फूल खिलने लग गयी आशाएँ…

गुमराह
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गुमराह

वक्त ने मुझे गुमराह किया था यह नहीं है मेरी मंज़िल। जिस मोड़ में राह झूठा था उसकी खोज में है अब दिल।  यहाँ से निकलजाने की सोचूँ या अपनी मंजिल को खोजूं ?क्या करूँ ? क्या ना करूँ ? कभी सफर ही हत्म करना मैं सोचूँ।  ज़िंदगी तो कुछ हल्का-सा था कब यह भारी से भारी होगया ?फूलों से सजी राहों में कब काँटें बरसना ज़ारी होगया ? मौसम की नादानियाँ ही देखो प्यास…