Gazal

Hoton se choolo tum
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Honton Se Chhoolo Tum Song Lyrics

प्रेम गीत फिल्म का यह गाना मेरा सर्वकालिक पसंदीदा क्लासिक हिट गाना हैं। प्रेम गीत जगजीत सिंह जी के संगीत निर्देशक के रूप में पहली फिल्म थी। यक़ीनन, उनकी मस्मारिक संगीत से और उनकी ही दिलकश आवाज़ में यह गाना तो हर किसी के दिलको और होटों को छू लेता ही हैं। पहली बार मैंने…

Burayi
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बुराई

अच्छाई की परदे में बुराई करता समाज बूरा लगे कल और कल के परेशानियों भरी आज बूरा लगे।  सावन के झूल्हे में झूलता हर नज़ारा अच्छा लगे पर गीली-गीली समां में काम-काज बूरा लगे।  शर्माके झुकती नज़र ही औरत की असली ज़ेवर हैं पर दुनिया ही बेशर्म हैं तो फिर यह लाज बूरा लगे। 

मौत और रस्में
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मौत और रस्में

है तो यह जीवन एक मिटती कहानी मौत से न कर सकोगे कोई बेईमानी। ख़ुशी के बचपन, सुख-दुःख भरी जवानी क्या पता, पचपन तक रहे ज़िंदगानी। जीने के लिए खाना-पीना तो है ज़रूरखाने के लिए जीना अब बने है दस्तूर।भोजन मिले तो किसी की मौत भी मंज़ूरकरेगा हर गम दुःख भरी पेटपूजा से दूर।  किसको परवाह था उनकी चाहतों…

ज़माना लगे
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ज़माना लगे।

पल दो पल में आग लग जाएपर बुझाने के लिए ज़माना लगे।  बुझा भी दिया था तो क्या हुआज़ख्म भरने के लिए ज़माना लगे।  वक़्त ने पत्थर कुछ ऐसा माराशीशा टूटने के लिए ज़माना लगे।  मोल क्या ज़िंदगी की, ढूँढे तोये समझने के लिए ज़माना लगे।  मंज़िल करीब है, फिर भीउसे पाने के लिए ज़माना लगे। 

मिट्टी की क्या है मोल
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मिट्टी की क्या मोल!

सब तुझ में ही जनम लेते हैखुदा हमें तुझसे ही बनाते हैंआखिर तेरे संग ही तो सबएक दिन विलीन हो जाते हैं।   फल तेरी गोद में उगते हैंहीरे, सोने, तेल की खोज मेंखुदाई करें तुझमेँ  मानवक्या-क्या नहीं है तेरी गोद में! जड़को सीने में दबाकरपेड़-पौदों को संभालती हैकीटों से हाथी तक को तूअपनी सीने में…

मौत और रस्में
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बादल की आँसू

आसमान में उड़कर भी तो रो रही है अन्दर से दर्द पानी बनकर बह रही है बादल ! तुझे सब खुशकिस्मत समझे पर तू क्यों दुखी कहानियाँ कह रही है? तेरी रोने  पर जाग उड़ने लगी धर्ती से खुशबु तो वो अच्छे लगे नया जीवन का खिलना अच्छा लगे सबकी प्यास बुझाना अच्छा लगे मगर तेरी कारण देख री घटा किसीकी तो सबकुछ बह रही है।  खुले आम रो सकती है…

Uljhan
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उलझन

रखा क्या अब है गाने को रास्ता कहाँ है ढूंढने को बेचैनियाँ , बेताबियाँ और- क्या दिल को है सताने को वादें , यादें , कसमें और रस्में और क्या-क्या है भुलाने को उजाले की इन्तज़ार है क्यों जब यह शमा भी है बुझाने को मुहब्बत है अगर दिल को दिल से बेताबी क्यों हैं ज़माने को कहाँ जाऊँ अब किस से पूछूँ  उलझन हज़ार है मिटाने को

बेवफा
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बेवफा

कितने है सावन आये गये,अब आँखों में हैं बादल छाये।तरसे हे मन बरसे है नैनकभी मिलन का न सावन आए।  जीवन के इस मोड़ पे देखो बदल रहा हैं मन तुम्हारा मेरा।गुम हो रहा हे धीरे प्यार हमारा छा रहा है अब दिल में अँधेरा।। मिलन न हुआ पर जुदा हुए वफ़ा न दिया पर बेवफा हुए। शायद मज़बूरी है या कुछ और न खबर क्यों…

भूल
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भूल

हम से न जाने कैसे ये भूल हुई जो जुगनू को समझ लिया सितारा। क्यों हमने सोचा अकेली राहों में ,घोर अँधेरे में मिल ही लिया सहारा।। अब भी हम तैर रहे हैं थक के भी,उस पार अगर हो या न हो किनारा। बिखरी जुल्फों को ओर बिखरा दियाइक हवा का झोंका भी न इसे सवारा।। निगाहों के आगे दूर दूर तक है वीरानी फिर क्यों दिल होले से…

हवा का झोंका
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हवा का झोंका

एक हवा का झोंका दस्तक दी दरवाज़े में ऐसे फिर से मेरा। मुरझाया फूल खिलने लगी आँगन महका फिर से मेरा ।। बादल बरसना छोड़ दिया था खुशबु महकना भूल झुका था,पवन जो सरकाया आँचल मेरादिल आज धड़का फिर से मेरा ।। तूफ़ान मे कश्ती फटक गयी थीजब दूर साहिल दिखने लगी,बेरंग दुनिया मे रंग भरा आँखें चमका फिर से मेरा ।। अश्कों की बरसात थम गया तो हंसी के फूल खिलने लग गयी आशाएँ…