Hindi poems

थोड़ी दूर तुम साथ चलो
|

थोड़ी दूर तुम साथ चलो

उम्रभर किसीको कोई साथ न देतातुम थोड़ी दूर तो साथ चलो lमंजिल और राहें दोनों अलग हैं मगर थोड़ी दूर तो साथ चलो ll तनहा गुज़ारा हैं ये जिंदगानी तन्हाई के ही साथ रही हैं,जीलेंगे तनहा फिर हम ख़ुशी सेबस थोड़ी दूर तुम साथ चलो ll लम्बी हैं राहें कई दूर हैं मंजिलकहीं पे जुदा…

सपने बुनते ही रहे है दिल
|

सपने बुनते ही रहे है दिल

सपने बुनते ही रहे है दिल मेरे ज़िंदगी के हरेक पल। इससे क्या मिलने को रखा है, पर यह न जाने दिल पागल। नहीं कोई एक ही तो मकसदवक्त ने कहा तू राह बदल।वक्त का क्या होता भरोसापल भी युग सा होता है टल। ख्वाबों की राहों में नहीं कांटेहक़ीक़त तो काँटों की ओढा कंबल।…

टूटे सपने न दिखेंगे
|

टूटे सपने न दिखेंगे दुबारा

अँधेरे में फ़टके, न मिली चाँदनी का सहाराशायद नैया की डूबने पर ही मिलेगा किनारा। क्या भरा है ? क्या छुपा है ? क्या बताए ज़माने से,खोलके दिखाने के लिए दिल न कोई पिटारा। मेहँदी रचाये है सूरज, साँझ की हाथोँ मेंसूने इस हाँथ में कब चमकेगा लाल सितारा। उलझ रहा है ज़िंदगी, मिट जाएगी…

Burayi
|

बुराई

अच्छाई की परदे में बुराई करता समाज बूरा लगे कल और कल के परेशानियों भरी आज बूरा लगे।  सावन के झूल्हे में झूलता हर नज़ारा अच्छा लगे पर गीली-गीली समां में काम-काज बूरा लगे।  शर्माके झुकती नज़र ही औरत की असली ज़ेवर हैं पर दुनिया ही बेशर्म हैं तो फिर यह लाज बूरा लगे। 

मौत और रस्में
|

मौत और रस्में

है तो यह जीवन एक मिटती कहानी मौत से न कर सकोगे कोई बेईमानी। ख़ुशी के बचपन, सुख-दुःख भरी जवानी क्या पता, पचपन तक रहे ज़िंदगानी। जीने के लिए खाना-पीना तो है ज़रूरखाने के लिए जीना अब बने है दस्तूर।भोजन मिले तो किसी की मौत भी मंज़ूरकरेगा हर गम दुःख भरी पेटपूजा से दूर।  किसको परवाह था उनकी चाहतों…

ज़माना लगे
|

ज़माना लगे।

पल दो पल में आग लग जाएपर बुझाने के लिए ज़माना लगे।  बुझा भी दिया था तो क्या हुआज़ख्म भरने के लिए ज़माना लगे।  वक़्त ने पत्थर कुछ ऐसा माराशीशा टूटने के लिए ज़माना लगे।  मोल क्या ज़िंदगी की, ढूँढे तोये समझने के लिए ज़माना लगे।  मंज़िल करीब है, फिर भीउसे पाने के लिए ज़माना लगे।