उलझन
रखा क्या अब है गाने को
रास्ता कहाँ है ढूंढने को
बेचैनियाँ , बेताबियाँ और-
क्या दिल को है सताने को
वादें , यादें , कसमें और रस्में
और क्या-क्या है भुलाने को
उजाले की इन्तज़ार है क्यों
जब यह शमा भी है बुझाने को
मुहब्बत है अगर दिल को दिल से
बेताबी क्यों हैं ज़माने को
कहाँ जाऊँ अब किस से पूछूँ
उलझन हज़ार है मिटाने को