सपने बुनते ही रहे है दिल

सपने बुनते ही रहे है दिल

सपने बुनते ही रहे है दिल
मेरे ज़िंदगी के हरेक पल।
इससे क्या मिलने को रखा है,
पर यह न जाने दिल पागल।

नहीं कोई एक ही तो मकसद
वक्त ने कहा तू राह बदल।
वक्त का क्या होता भरोसा
पल भी युग सा होता है टल।

ख्वाबों की राहों में नहीं कांटे
हक़ीक़त तो काँटों की ओढा कंबल।
खुमारी में याद कहाँ, ख़ुशी की
या डरावना ख्वाब देखा था कल।

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