भूल
हम से न जाने कैसे ये भूल हुई जो जुगनू को समझ लिया सितारा। क्यों हमने सोचा अकेली राहों में ,घोर अँधेरे में मिल ही लिया सहारा।। अब भी हम तैर रहे हैं थक के भी,उस पार अगर हो या न हो किनारा। बिखरी जुल्फों को ओर बिखरा दियाइक हवा का झोंका भी न इसे सवारा।। निगाहों के आगे दूर दूर तक है वीरानी फिर क्यों दिल होले से…